हमें संघर्ष में तपना सिखाना जरूरी नहीं है
क्योंकि हमारा सारा जीवन ही संघर्षमय है।
युद्ध के दौरान बहते हुए लहू से हम नहीं डरती
क्योंकि रजस्वला की पीड़ा के साथ हम खून बहाते आये हैं।
हमें युद्ध की पीड़ा से जूझना सिखाना जरूरी नहीं है
क्योंकि गर्भाधान की पीड़ा से हम जूझते आये हैं।
दीर्घकालीन जनयुद्ध के लिए हमें धैर्य सिखाना नहीं होगा
क्योंकि पूरे मानव की सृष्टि का भार हम धैर्य से उठाते आये हैं।
युद्ध के लिए हमें घर छोड़ने को कहना नहीं होगा
क्योंकि हम तो अपना मायका छोड़कर आये हैं।
युद्ध के लिए बलिदान देने में हमें हिचकिचाहट नहीं है
क्योंकि घर परिवार के लिए सारा जीवन हम बलिदान देते आये हैं।
असमानता के विरुद्ध हमें विद्रोह करना सिखाना नहीं होगा
क्योंकि जन्म से मृत्यु तक हम असमानता के विरुद्ध संघर्ष करते आये हैं।
युद्ध के दौरान हुए नुकसानों से हम हताश नहीं होते
क्योंकि अपने गर्भ से बच्चा मरने की पीड़ा हम उठाते आये हैं।
अगर हमें सिखाना है तो सिखाओ : वर्गीय ममता
कौन है वर्ग-दुश्मन, कौन है दोस्त और क्या है वर्ग-संघर्ष ?
फिर हम पूरी ममता और बलिदान से
इस मानव सृष्टि का पूरी तरह नवनिर्माण कर दिखाएँगे।
अामुख 28 July 2000